चंदा से सीखो तुम
घना कोहरा छाया
चांद ना घबड़ाया
बारिश ने धूम मचाई
काली घटा घिर आई
बादलों के आगोश में
छिपकर रात बिताई
जागकर सारी रैना
किया सूर्य का इंतजार
तनिक ना भरमाया
जब उदित हुए सूर्य
बादलों ने उन्हें भी सताया
अपनी राह में अडिग
आखिर बादल ही शरमाया
छोड़ रास्ता चांद – सूरज का
अपनी राह को चला गया
देखो दूर हुआ अंधियारा
फिर से उजाला छाया
रीता जयहिंद
9717281210