चन्दा की नगरी में ले चल प्रीतम,
चुनरी में सितारे जड़वाऊॅंगी।
चाॅंद की रौशनी में,
तुम्हारे संग जश्न मनाऊंगी।
दो-चार सितारे अलग से लूॅंगी,
तुम्हारे कुर्ते में लगवाऊॅंगी।
दोनों घूमेंगे चमचम करते,
पायल की छम-छम से तुम्हें रिझाऊॅंगी।
चन्दा की नगरी में ले चल प्रीतम,
थोड़ी सी चाॅंदनी भी लाउॅंगी।
रोज लगाकर मुख पर अपने,
तुम्हारे आगे इतराउॅंगी।
चन्दा की नगरी में ले चल प्रीतम,
चुनरी में सितारे जड़वाऊॅंगी।
____✍गीता