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चलो फिर सजाएं

चलो फिर सजाएं
मुहब्बत की दुनियां
नहीं रोक पाये
हमें अब ये दुनियाँ।
बहुत हो चुकी अब
कमबख्त दूरी,
दर्द गम का सहना
नहीं है जरूरी।

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