चाँद राही अंजाना 5 years ago छोड़ कर पीछे सबको आज चाँद को घुमाने निकला हूँ, सच कहता हूँ दोस्त मेरे आज खुद को गुमाने निकला हूँ, सोया था न जाने कब से समन्दर की बाँहों में यूँ अकेला, पिघले हुए एहसास को आज फिर जमाने को निकला हूँ, राही अंजाना