Site icon Saavan

चाँद

छोड़ कर पीछे सबको आज चाँद को घुमाने निकला हूँ,
सच कहता हूँ दोस्त मेरे आज खुद को गुमाने निकला हूँ,

सोया था न जाने कब से समन्दर की बाँहों में यूँ अकेला,
पिघले हुए एहसास को आज फिर जमाने को निकला हूँ,

राही अंजाना

Exit mobile version