चेहरे के हर भाव की जल्द ही कीमत लगने लगेगी,
खामोशी, हंसी की दुकानों पर प्रदर्षनी लगने लगेगी,
जेब खाली हो जायेगी सिर्फ भावों को सुनकर इनके,
गहरी मगर ये मेरी बात सोंचो तो सच लगने लगेगी,
वयस्त है मस्त हैं सभी अपने ही आप में इस तरह.
के रिश्ते नातों की सबके बीच में छुटटी लगने लगेगी।।
– राही (अंजाना)