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जटायु अंत में आंखें खोले

जटायु अंत में आंखें खोले
हाथ जोड़ के करे वंदना रोता रोता बोली
जटायु अपनी आंखें खोले
जल जो पीले तो वह नहीं पीता राम बचा लो दुखी है सीता
भक्ति रस में डुबके देखो अशू नयन बोले
जटायु अंत में आंखें खोले
खेल रहा जो मौत से क्रीड़ा देखी ना जाती उसकी पीड़ा हरि की गोद में पड़ा हुआ वो माटी का तन डोले
जटायु अंत में आंखें खोलो
अनंत समय हरी पास है मेरे अंधकार आंखों को घेरे
क्या करें कि मैं हरी दर्शन कर लूं एक रट मन में डोले जटायु अंत में आंखें खोलें

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