सपने में भी जब कभी तुम्हारा ख्याल आता है-
तो दर्द से तड़फ कर जाग जाता हूँ मै .
जब अंधेरों के सिवा कुछ मिलता नहीं वहां-
तो खुद ही खुद से घबरा जाता हूँ मै .
कभी गैर आ कर रुला जाते है मुझको –
तो कभी खुद की ही हरकतों से परेशां हों जाता हूँ मै .
जिसको भी चाहता हूँ कि भूल जाऊं –
रह रह कर उसे ही याद कर जाता हूँ मै .
आती नहीं जब कभी नींद रात में –
खुद ही खुद को थपकियाँ देकर सुलाता हूँ मै .
-अनिल कुमार भ्रमर