Site icon Saavan

जब किसी सितम की कभी इन्तहाँ होती है

जब किसी सितम की कभी इन्तहाँ होती है!
सोती हैं ‘तकदीरें मगर आँख रोती है!
वक्त के कदमों तले कुचल जाती हैं मंजिलें,
डूबती तमन्नाओं की सहर कब होती है?

Composed By #महादेव

Exit mobile version