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जब जब मैं बेबाक हुआ हूँ।

जब जब मैं बेबाक हुआ हूँ।
तब तब मैं मजाक हुआ हूँ।।
,
बेगुनाह होके सज़ा काटी है मैंने।
तब जाके कही इंसाफ हुआ हूँ।।
,
गवाह है मेरा जलता हुआ मकान।
की ज़िन्दा था मैं जो राख हुआ हूँ।।
,
मेरी रवादारी पे सवाल करने वालो।
मैं तुम्हारे गुनाहों का हिसाब हुआ हूँ।।
,
माना की कुछ नहीं हूँ नजरों में तुम्हारे।
इक शायरी था मैं जो किताब हुआ हूँ।।
@@@@RK@@@@

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