ज़िन्दगी के इस खेल में Pt, vinay shastri 'vinaychand' 3 years ago तेरी परछाई को देख लेता हूँ चेहरे को देखने का मौका कहाँ मिलता। ज़िन्दगी के इस खेल में दौड़-दौड़ दौड़ लेता हूँ चौका कहाँ मिलता।।