जीद-ए-वस्ल Pragya Deole 5 years ago रक़िब ना बनों उल्फ़त के खामख्वाह वस्ल की जीद से_ दुरियों में ही सही लबरेज हैं दिल मोहब्बत से क्या इतनी आराईश काफी नहीं ढलती उम्र की पीड़ से_ -PRAGYA-