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जीवनसाथी

इस बेरंग सी जिंदगी में मानो,
रंग जो आप भर रहे

कल की इस कोमल कली को
हाथ थाम कर सिखला रहे

जब बाहें हो आपकी शाम सिरहाने
रात की अंधियारी भी रोशन सी लगे

हर धूप- छांव में हमेशा मुझको,
आपका ही बस साथ मिले

गिरूँ कभी या हार मैं मानूँ ,
हिम्मत मुझको आपसे ही मिले

आप दिया मैं बाती बनकर,
दिन रात यूँ ही रोशन करें

साथ दूर से या पास से,
हर पल आपका बस मिलता रहे

नहीं अभिलाषा इतनी बड़ी कोई,
बस हाथ में आपका हाथ रहे।।

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