Site icon Saavan

जीवन के माइने

कहीं खो से गए हैं सपने
और जाग पड़ी हैं नींदे
लॉक डाउन में जैसे सहम गये हैं
जीवन के माइने
कहीं रिश्तों की डोरी ने
मजबूत हो रही है तो कहीं
टूटने लगी है
जीवन के बन्धन में
सिमट के रह गया है
रिश्तों का कारवां
चारों ओर धुंध सी छाई हुई है
अनगिनत लोगों से
अलगाव सा हो गया है
प्रेम की जो पट्टी आंखों पर बंधी हुई थी
वह पास रहने से खुलती जा रही है
हमदर्दी की झूठी तस्वीर
जो नजर आती थी
वह वास्तविकता के पैमाने
पर उतर रही है
और कई चेहरे सामने आ रहे हैं
जो प्रेम का झूठा
खेल खेला जा रहा था
आज मयस्सर हो गया है
सारी गलत फ़हमिया
अब दूर हो गई हैं
कौन अपना है कौन पराया
सब साफ़ नज़र आ रहा है

Exit mobile version