जुस्तजू Praduman Amit 4 years ago आज की रात कयामत की रात है। गर तुम हो मेरे साथ तो जन्नत की बात है।। थी जुस्तजू तुम्हें पाने को मगर। क्या करू सब की अपनी मुकद्दर है।। डर है मुझे कहीं ए चिराग बुझ न जाए। इसलिए हवा के रुख बदलने का इरादा है।।