https://ritusoni70ritusoni70.wordpress.com/2016/06/28
जो तुम मेरे होते ,
निरिह विरह में व्याकुल मन से,
मेरे चित की सुन्दरता जान लेते,
मन्त्र-मुग्ध मन में मेरे ,
अपनी धुन पहचान लेते,
जो तुम मेरे होते,
लोलुप मन विचलित न होता,
तुम नीर बिन मीन की,
पीड़ा जान लेते , पूर्ण चन्द्र का,
चाँदनी को समेट लेने की तन्मयता,
स्पंदित हृदय का धड़कनो में समन्व्यता,
जान लेते तुम,जान लेते,
लय का सरगम बनने की आतुरता,
जो तुम मेरे होते,
जान लेते अपने साये में,
मेरे पदचाप की धुन पहचान लेते ।।