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जो बिकता सरे आम वो ईमान होता है

जो बिकता सरे आम वो ईमान होता है
जो जहाँ को समझे वो नादान होता है
बदलते रंग में ढल गयी सारी दुनिया
जो अधूरा रहे सदा वो ‘अरमान’ होता है
राजेश’अरमान’

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