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टूटती जिंदगी

हमने चाहतों को सजाना छोड़ दिया
तेरे जाते ही जमाना छोड़ दिया

क्यों हम टूटते ही चले जा रहे हैं
लगता है उसने बनाना छोड़ दिया

नींद भी हमें अब कम आती है
ख्वाबों ने भी तो आना छोड़ दिया

डर लगता है अब बिखरने से हमें
नजरों से नजरें मिलाना छोड़ दिया

सफर में एक साथी कुछ देर का
उसने भी साथ निभाना छोड़ दिया

हर खुशी में एक गम छुपा दिखता है
सो हमने खुशी को पाना छोड़ दिया

लोग आते हैं और चले जाते हैं
हमने दिल को समझाना छोड़ दिया

अब गिरना वाजिब लगता है शिव
इसलिए संभल जाना छोड़ दिया

शिव उपाध्याय

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