तब दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्" 4 years ago तबकी बात और है, ना करो तबकी बातें, थे तब भी लेकिन, जख्म हँसते ना थे। होंगे सांप तब भी, यकीनन आस्तीनों में, रहते थे खामोश, तब ये डसते ना थे ।। Copyright@ नील पदम्