तिनके बटोर बनाया आशियाना
बर्क ने फिर गिराया आशियाना
मेरे हाथों से लिपटी फिर रेखाएं
रेखाओं ने फिर बनाया आशियाना
राजेश’अरमान’
तिनके बटोर बनाया आशियाना
बर्क ने फिर गिराया आशियाना
मेरे हाथों से लिपटी फिर रेखाएं
रेखाओं ने फिर बनाया आशियाना
राजेश’अरमान’