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तीली

धरती बिछा कर आस्मां ओढ़ कर सो जाते हैं,
ये गरीब हैं अपना रस्ता छोड़ कर सो जाते हैं,

मिलती नहीं जो रौशनी की किरण उनसे आके,
जलाके माचिस की तीली मोड़ कर सो जाते हैं।।

राही अंजाना

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