Site icon Saavan

तुमसे मिलने की तमन्ना।

तुमसे मिलने की तमन्ना अब भी लगा बैठा हूँ,,
सुबह से शाम तुम्हारी गलीयो मे चक्कर लगा –लगा कर दिल को समझा रहा हूँ,
तुमसे मिलने की तमन्ना अब भी लगा बैठा हूँ,
बीत गई वो दिन- बीत गई बात लेकिन क्या कहूँ हाथ मे सिन्दुर लिये बैठा हूँ,
तुमसे मिलने की तमन्ना—–
रात को जब तन्नहाई होती है करवट बदल सिसक-सिसक कर सुबह हो जाती ,
क्या कहूँ मिलने की तमन्ना अब लगा बैठा हूँ ।

– जेपी सिह

Exit mobile version