“तुम्हारा समर्पण” Pragya 3 years ago तुम्हारा समर्पण देखकर भर आई मेरी आंख कितना सुंदर ह्रदय है कितनी सुंदर बात कितनी सुंदर बात कही है तुमने मुझसे तेरे इस मनुहार पर हार जाऊंगी तुझसे तेरा सानिध्य पाकर सदा कलम चले मेरी पाक मेरे मन में ना हो ईर्ष्या मन हो बिल्कुल साफ।।