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तुम्हारी तस्वीर

तुम्हारी तस्वीर से बातें करता हूं।
कभी कुछ सोच कर हंसता हूं।
कभी कुछ सोच कर रो देता हूं।
कभी बस एकटक निहारता हूं।
तो कभी चूम लेता हूं।
तुम्हारी तस्वीर से बातें करता हूं।
कभी सोचता हूं, कि तुम होती सामने,
तो ये कहता, वो सुनता,
कभी सोचता हूं, तुम्हें बाहों में भर लेता।
लेकिन तुम मेरे करीब नहीं।
गम-ए-जुदाई में शरीक नहीं।
मेरा तो अब ये हाल है।
नहीं जीता हूं, ना ही मरता हूं।
बस तुम्हारी यादों में ही खोया रहता हूं।
तुम्हारी तस्वीर से बातें करता हूं।
बस, तुम्हारी तस्वीर से बातें करता हूं।

देवेश साखरे ‘देव’

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