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तुम्हारे इश्क़ में

झूठ बोलना प्यार में तुम्हारा,
जैसी पूर्ण अधिकार था तुम्हारा।
आंखों में तुम्हारे झूठ को पढ़ते चले गए,
हंसते-हंसते तुम्हारे इश्क में फंसते चले गए।
हठधर्मिता तुम्हारी स्वामित्वतता तुम्हारी,
स्वीकारते गए,
हर बात से तुम्हें मतलब हर चीज में दखल था,
आगोश में तुम्हारी खुद को मिटाते चले गए हंसते-हंसते तुम्हारे इश्क में फंसते चले गए।
निमिषा सिंघल

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