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तुम्हारे नाम कर रहा हूं

खयाल-ए-दिल, सभी जज़्बात फ़िर से आम कर रहा हूं,

मैं इक ताज़ा गज़ल फ़िर से तुम्हारे नाम कर रहा हूं l

 

 

तुम्हारे ही तसोव्वुर में गुज़रता है मेरा हर दिन,

तुम्हारे ही तसोव्वुर में मैं हर इक शाम कर रहा हूं l

 

 

तुम्हारे नाम से आये सुबह तुम्हारे नाम से ढलती है शाम,

तुम्हारे नाम पर मैं ज़िन्दगी तमाम कर रहा हूं I

 

 

तुम से शुरू तुम पर खतम आगाज़ से अंजाम तक,

रफाक़त में तुम्हारी उम्र को गुल्फाम कर रहा हूं l

 

 

मुशाफत हो चुकी है ज़िन्दगी से,तुम्हारे नाम में खोया हुआ हूं,

बहुत मशरूफ हूं मैं आजकल ये काम कर रहा हूं l

 

 

तुम्हारी यादें, तुम्हारी बातें सभी महफ़िल सजाती हैं,

तुम्हारी आस में अश्कों को फ़िर से जाम कर रहा हूं l

 

 

ज़िन्दगी ना जाने कब गुनाहों का हिसाब ले ले,

फलसफा मैं आजकल “श्री राम” कर रहा हूं ll

 

मैं इक ताज़ा गज़ल फ़िर से तुम्हारे नाम कर रहा हूं ll

 

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-Er Anand Sagar Pandey

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