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तुम्हारे बगैर

तुम्हारे बगैर जी तो नहीं सकता,
हाँ, मर जरूर सकता हूँ ।
पर मर कर भी यदि चैन न मिला तो,
मेरी रूह भटकेगी।
तुम्हें पाने को तड़पेगी।
तुम्हें परेशान करने का इरादा नहीं है ।
मेरी ख्वाहिशें भी कोई ज्यादा नहीं है ।
सिर्फ़ तुम्हारा साथ चाहता हूँ ।
हाथों में तुम्हारा हाथ चाहता हूँ ।
खुशियों की सौगात चाहता हूँ ।
बताना दिल के जज्बात चाहता हूँ ।
तुम, हाँ तुम ही मेरी,
पहली और आखिरी मोहब्बत हो।
हाँ तुम ही वो लड़की हो ।
जिसके लिए मैं तड़पा हूँ,
कई रातें आँखों में काटा हूँ ।
गम अपने सीने में दबाकर,
औरों में खुशियाँ बाँटा हूँ ।
क्या करूँ, मेरे आँसू सूख चूके हैं ।
क्या करूँ, मेरी उम्मीदें लूट चूके हैं ।
मैं अपने दिल का बोझ हल्का करना चाहता हूँ ।
अपने गम का इलाज धुएँ में ढुँढता फिरता हूँ ।
मालूम है, मुझे मालूम है,
हासील कुछ ना होगा ।
मौत के करीब हूँ,
ये झूठ ना होगा ।
पर तुम मुझे बचा सकती हो ।
मेरी जिंदगी सजा सकती हो ।
वो तुम हो, तुम ही तो हो ।
हाँ “मेरी चाहत” वो तुम हो ।।

देवेश साखरे ‘देव’

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