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तुम्हारे बिना..

सूनी-सूनी सी फ़िज़ाऍं हैं,
सूनी सी सब दिशाऍं हैं।
आप नहीं हैं मेरी ज़िन्दगी में अगर,
सूनी-सूनी सी लगती है ड़गर।
हमें ही हमारी नहीं है खबर,
किसी की हमको लगी है नजर।
जुबाॅं चुप है ऑंखें राज़ कहती हैं मगर,
तुम्हारे बिना अब नहीं है बसर,
सूनी-सूनी सी ज़िन्दगी है ये
सूना-सूना सा लगता है नगर॥
_____✍गीता

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