Site icon Saavan

तुम्हारे लिए

शब्द-शब्द पिरोकर,
कविता की माला बनाऊं तुम्हारे लिए।

माला के हर मनके में,
मन के मनोभाव सजाऊं तुम्हारे लिए।

लहराते उजले दामन में,
प्रेम का रंग चढ़ाऊं तुम्हारे लिए।

थरथराते गुलाबी अधरों पे,
प्रेम का रस बरसाऊं तुम्हारे लिए।

महकाया जीवन के उपवन को,
फूलों से सेज महकाऊं तुम्हारे लिए।

रौशनी लजाती गर प्रेमालाप में,
जलता दीपक बुझाऊं तुम्हारे लिए।

देवेश साखरे ‘देव’

Exit mobile version