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तुम जब भी कोई

तुम जब भी कोई मुस्कराती आँखे देखोगे — उनमें मेरा ही साया नज़र आएगा

तुम्हारे सामने जब भी कोई आँचल लहराएगा –तुम्हें उसमें मेरा ही दामन नज़र आएगा।

गुजरोगे जब भी मेरे शहर की गलियों से –तुम्हें स्मृति मेरी ही कराएगा।

याद करके जब भी पलकों को मूँदोगे -अचानक छु गया स्पर्श याद मेरी कराएगा।

वक्त के हाथों मजबूर जब किसी इंसां को देखोगे –उस टूटते प्यार में प्रीत का प्यार नज़र आएगा।

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