पत्नी के लिए मां बाप को डांटने वाले तुम होते कौन हो उन पर रौब झाड़ने वाले
उनके समर्पण को माना भुला दिया इतना अभिमान कि उनको रुला दिया
उनके एहसानो को नकारने वाले
तुम होते कौन हो उनपर रौब झाड़ने वाले
वक़्त बेवक्त तकल्लुफ से पाला है तुम्हें!
गीले में सोकर सूखे में सुलाया है तुम्हें
खुद भुखे रह हाथों से खिलाया है तुम्हें
उनके हर त्याग को झूठा मानने वाले।
तुम होते कौन हो उनपर रौब झाड़ने वाले
लंबे सफ़र पर चलने के बाद उनके प्यार को दिखावा मानने वाले
तुम होते कौन हो उन पर रौब झाड़ने वाले।।