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तू अभी जिंदा है…!!

ओ मेरी घृणित, उपेक्षित ईर्श्या!
तू अभी जिंदा है!!
मेरे पीर के तम में
मेरे आज में कल में
पर्वतों की विशालता सम
तू अभी जिंदा है!!

मेरे जीवन में उजास-सी
किसी क्लेश की तलाश-सी
सरिता में मलिन नीरस सम
तू अभी जिंदा है!!

कालसर्प के दंश में
रात्रि के अंक में
राक्षसी प्रवृति सम
तू अभी जिंदा है!!

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