Site icon Saavan

तेरी कश्ती मेरी कश्ती

तेरी कश्ती मेरी कश्ती

 

बस इतनी सी तो रवानी है

हर ज़िन्दगी की कहानी है

सब कागज की कश्ती है

और ख़ुद को पार लगानी है

 

दिखती सब अलग सी हैं

असल में सब रब सी है

एक सी ही तो रवानी है

छोटी सी यह ज़िंदगानी है

 

एक सी सब बहतीं है

थपेड़े सब तो सहती हैं

अपनी अपनी बारी है

जाने की सब तैयारी है

 

सबकी अपनी चाले हैं

कौन किसी की माने है

किसके हिस्से कितना पानी

कोई ना यह कभी जाने है

 

है तो कश्ती को मालूम

किनारों पे ना ज़िंदगानी है

बीच गहराईयों में डूबना

उसके मन की परवानी है

 

नीचे छत के बस जाना

कश्ती ने ना जाना है

लड़ते हुए इन लहरों से

यूँ ही तो मिट जाना है

 

तेरी कश्ती मेरी कश्ती

यूई क्यों कर उलझे हो

नाचो कूदो हंस खेल लो

जितने भी पल मौजें हों

                                    ……. यूई

Exit mobile version