दर–दर ठोकर खाया हूँ,
जीवन से भी मै हारा हूँ।
दे–दे सहारा —-
तेरे पास मै आया हूँ।।
नही मंजिल मिली नही किनारा,मुझे दे–दे सहारा, मेरा कोई नही ठिकाना है!
मै हूँ बेसहारा–
मुझे दे– दे सहारा
कुछ भी इंसान हूँ,
दुनिया ने शिर्फ दी रूसवाई है,
तेरे दर पर सुना होती सुनवाई है।
एहसान करो मुझ पर मै दर दर ठोकर खा़या हूँ,
तेरी ये मतलबी दुनिया मुझे हराया है,
दर–दर ठोकर दिलवाया है।