असमंजस में जीवन गुजरा
विपरीत दिशा जाती सांसें
कोहराम मचा चहुँ ओर
रोती बिलखती दिखती आंखें
पीर उठे दिल में ‘प्रज्ञा
चीख उठे पत्थर दिल भी
ऐसे दृश्य ना देखे हमने
कल्पना भी कभी न की
दिन गुजरेंगे ये दुखदाई
होगा फिर से नया सवेरा
विनती करते हैं ईश्वर से
मिट जाएगा यह घोर अंधेरा