Site icon Saavan

दिल में सिर्फ राम है

राम हैं दयाल जग मैं, राम ही कृपाल हैं
राम ही कवच हैं मेरे, राम मेरी ढाल हैं..

जिसका एक बाण सागरों को भी सुखा सके,
कोई कण नही कि जिसमे राम ना समा सकें ।

माथे पर तिलक का वो निशान लौट आया है,
हिंदुओं का फिर से स्वाभिमान लौट आया है।

राम श्रेष्ठ न्यायकर्ता,राम न्याय कर चले,
सदियों युद्ध में थे, आज राम अपने घर चले ।

पत्थरों को तार दे, सामर्थ्य मेरे राम में,
राम मुझमे हैं सदा ही, मैं सदा हूँ राम में ।

दिल में रख कपट जो मुख पे रखते राम नाम है,
राम उसके ही हैं कि जिसके दिल में सिर्फ राम हैं..

राम उसके ही हैं जिसके दिल में सिर्फ राम हैं..

– ‘प्रयाग धर्मानी’

Exit mobile version