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दुनिया में रहकर

दुनिया में रहकर दुनिया को तकता हूँ
आईने को किसी दुश्मन सा तकता हूँ
बेनूर से मंजर का हक़ लिए फिरता हूँ ,
आँखों से बस ढहते ख्वाबों को तकता हूँ
राजेश’अरमान’

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