Site icon Saavan

देवदास

आधा चांद खिला होगा जिस दिन
उस दिन मिलने आऊंगा।
अपनी नीलकमल सी आंखों में
मेरा इंतजार रखना।
मैं चंद्रकांता का
वीरेंद्र बनकर आऊंगा।
महुआ के पेड़ से
पक कर झड़े फूल से तैयार
ताजी ताड़ी सी तुम।
और मैं पारो के देवदास सा
तुम्हारा दास!
तुम मेरे लिए
पारिजात के फूलों के समान
मानसिक सुकून देने वाली
औषधि हो।
चंपा के समान सुगंधित
तुम्हारी देह
मेरे मृतप्राय मन में नए प्राण फूकती है।
रातरानी के फूल के समान तुम्हारी गंध
बांधती है मुझे।
तुमसे बंधा
तुम्हारा बंधक
देवदास हूं मैं
हां तुम्हारा दास हूं मैं।
निमिषा सिंघल

Exit mobile version