नग्में राही अंजाना 5 years ago गलतफहमियों की कितनी और किश्तें बाकी रह गईं, इंसानों की कितनी और देखनी किस्में बाकी रह गईं।। नज़र-नज़ारे दिल-दिमाग और जुदाई सबपे लिखा मैंने, कहना मुश्किल है के और कितनी नग्में बाकी रह गईं।। राही अंजाना