सुना दो आज मुझको तुम,
नज़्म कोई मोहब्बत की।
हो जिसमें बस बात,
कुछ तेरी कुछ मेरी।
छोड़कर सब दुख दर्द दुनियां के,
चलो, वक्त कुछ साथ बिताते हैं।
कह दो आप कुछ अपनी,
कुछ हम अपनी सुनाते हैं।
मौसम भी सुहाना है
सुहानी साँझ आई है,
चलो पूछें साँझ से आज,
क्या सौगात लाई है।।
______✍️गीता