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” नया साल आ रहा हैँ “

रह – रह कर ज़ेहन में बस यही ख्याल आ रहा हैं

मुझे तनिक बदलने दो , नया साल आ रहा हैं …..

 

बेचैन धड़कन हो गयी है

शायद संग अपने ख़ुशियां बे-मिसाल ला रहा हैं ….

 

जल उठी दिल में कंदीले – ए – इश्क़

ये बे-जुबां भी ग़ज़ले गा रहा हैँ..

 

सिर्फ साल बदला हैं , इंसान नहीं

कुछ तो ख़ामोश रहकर समझा रहा हैं….

 

वो तो कब का कह चुके हक़ीक़त में  अलविदा

फिर क्यों ख़्वाबो में उनका अक्श दिखा रहा हैं……

 

अस्त हो गया मेरी चाहत का आफ़ताब

ये फ़लक – ए – दिल कौन सा माहताब चमका रहा हैं….

 

जो रुसवा हैं मना ले उन्हें पंकजोम ” प्रेम ”

साँसों का कारवाँ जिस्म से दूर होता जा रहा हैं…..

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