नशेमन राही अंजाना 5 years ago ताबिश ए जलन ने जला कर रख दिया, भीतर ही भीतर मुझे गला कर रख दिया, फूंकता रहा हवा जिस चिंगारी में हर दिन, उसी धुँए ने फिर मुझे घुला कर रख दिया, मोहब्बत किसको कितनी थी मालूम हुआ, जब नशेमन ने ‘राही’ सुला कर रख दिया।। राही अंजाना