उसकी बेवफ़ाई पर हंसी आती हैं तो तरस भी__
अभी अन्जान हैं वो मोहब्बत से..दिवाना कुछ इस कदर हैं समझ लेता हैं वो हर पत्थर को कोहिनूर भी__
कभी मुलाक़ात ज़रूर होगी इज़हार-ए-मोहब्बत करने वाले अपनी झूठी नज़रों से हम पर क़रम ज़रूर करना_
कहीं नज़रें झुक गई फिर दिल में हमारी तमन्ना भूल कर भी मत करना_
-PRAGYA