नारी हूँ मैं
मुझे इस बात का गर्व है…
नारी का जीवन
बसंत का पर्व है…
अपने सुगंधित पुष्पों से
नारी महकाती है घर-गगन
हरियाली खुशियों की
फैलाकर….
नित्य पल्लवित करती है सुमन…
नहीं है पतझड़- सी अभागन
भर देती है खुशियों से आंगन…
सब को खुश रखने में ही
लगी रहती है…
अपने सपनें भूल कर
दूसरों के सपनों को
पूरा करने की कोशिश करती है..
इसीलिए नारी होने पर
मुझे फक्र है
नारी के आगे तो
नतमस्तक कालचक्र है…
नारी होना अभिशाप नहीं
ईश्वर का आशीर्वाद है…।।