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नाव

मैं कागज़ की नाव चलाने लगा,
फिर बचपन में धीरे से जाने लगा,
सहसा हुई जब एक दस्तक अचानक,
मैं ख़्वाबों से बाहर फिर आने लगा।
राही (अंजाना)

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