निगाहे राही अंजाना 5 years ago निगाहें तुझ ही पर टिकाये रहता हूँ, मैं यूँही खुदको तुझमें गुमाये रहता हूँ, तुझको समझने की जिद ठानी हैं ऐसी, के हर दम मैं गर्दन अपनी झुकाये रहता हूँ।। राही अंजाना