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निराशा में हमेशा हौसला

दिया जब भी दिखाता हूँ मैं
तुम सूरज दिखाती हो,
निराशा में हमेशा हौसला
मुझमें जगाती हो।
बताओ ना कि इतना क्यों
मुझे सम्मान देती हो,
स्वयं की हर ख़ुशी को क्यों भला
मुझ पर लुटाती हो।

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