नींदों ने झकझोर दिये Pragya 3 years ago पी लेती हूँ घूंट जहर का अमृत का अरमान नहीं जो समझे मेरे मन को ऐसा कोई इंसान नहीं दीप जले सपनों के कई पर नींदों ने झकझोर दिये सुमन खिले दरवाजे पर थे पर जाने किसने तोड़ लिये !!