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नींदों ने झकझोर दिये

पी लेती हूँ घूंट जहर का
अमृत का अरमान नहीं
जो समझे मेरे मन को
ऐसा कोई इंसान नहीं
दीप जले सपनों के कई
पर नींदों ने झकझोर दिये
सुमन खिले दरवाजे पर थे
पर जाने किसने तोड़ लिये !!

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