पंछी राही अंजाना 6 years ago ख्वाइशों का पंछी गगन में उड़ता रहता है, बैठता एक पल नहीं धरती से उठा रहता है, आंसुओं का बहना कम नहीं होता एक पल, इंसा का सर बस रब के आगे झुका रहता है।। राही (अंजाना)