आक़िबत जो भी हो
परवाह नहीं करते हैं,
हमें तो कर्म करना है
मेहनत की बात करते हैं।
आग सीने में थोड़ी सी
बचा के रखते हैं,
उसी से गम के अंधेरे
मिटाया करते हैं।
छुरा ईमान का
सदैव पास रखते हैं,
इरादा नेक रख
संधान लक्ष्य करते हैं,
खाम पर सदा
पक्का इरादा रखते हैं,
हमें तो कर्म करना है
मेहनत की बात करते हैं।
शब्दार्थ –
आक़िबत- परिणाम
खाम- कच्चे