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पता ना चलिया है

वक्त वक्त देख वक्त का
पता ना चलिया है
जब चले पता
तब तक वक्त निकलया है

सोच सोच के राह का
पता न चलिया है
जब चले पता
तब तक मंज़िल छुटिया है

क्रोध क्रोध में क्रोध का
पता ना चलिया है
जब चले पता
तब तक रिश्ता चला गया है

लोभ लोभ में लोभ का
पता ना चलिया है
जब चले पता
तब तक सब ख़तम हो गया है

मै मै में मै का
पता ना चलिए है
जब चले पता
तब तक पुण्य ख़तम हो गया है
– हिमांशु ओझा

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